Sunday, December 23, 2018

पैसा ही सबकुछ नहीं ---

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पैसा ही सबकुछ नहीं ---
*_एक इलाके में एक भले आदमी का निधन हो गया , लोग अर्थी ले जाने को तैयार हुये और जब उठाकर श्मशान ले जाने लगे तो एक आदमी आगे आया और अर्थी का एक पांव पकड़ लिया और बोला के मरने वाले ने मेरे 15 लाख देने है, पहले मुझे पैसे दो फिर उसको जाने दूंगा।_*
*_अब तमाम लोग खड़े तमाशा देख रहे है, बेटों ने कहा के मरने वाले ने हमें तो कोई ऐसी बात नही कही कि वह कर्जदार है, इसलिए हम नही दे सकते मृतक के भाइयों ने कहा के जब बेटे जिम्मेदार नही तो हम क्यों दें। अब सारे खड़े है और उसने अर्थी पकड़ी हुई है, जब काफी देर गुजर गई तो बात घर की औरतों तक भी पहुंच गई।_*
*_मरने वाले कि इकलौती बेटी ने जब बात सुनी तो फौरन अपना सारा ज़ेवर उतारा और अपनी सारी नकद रकम जमा करके उस आदमी के लिए भिजवा दी और कहा कि भगवान के लिए ये रकम और जेवर बेच के उसकी रकम रखो और मेरे पिताजी की अंतिम यात्रा को ना रोको। मैं मरने से पहले सारा कर्ज अदा कर दूंगी। और बाकी रकम का जल्दी बंदोबस्त कर दूंगी।_*
*_अब वह अर्थी पकड़ने वाला शख्स खड़ा हुआ और सारे लोगो से मुखातिब हो कर बोला: असल बात ये है मैने मरने वाले से 15 लाख लेना नही वरन उसका देना है और उसके किसी वारिस को मैं जानता नही था तो मैने ये खेल किया। अब मुझे पता चल चुका है के उसकी वारिस एक बेटी है और उसका कोई बेटा या भाई नही है।_*

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